जब कोई इंसान होकर भी हैवान बना होगा
तो इंसानियत का कोई दस्तूर भी तोड़ा होगा
उठी होगी कोई कसक मन में किसी के
तो क्या अंतर्मन न किसी का रोया होगा ।
करके शिकार मासूमियत का
क्या उसे अफसोस कोई हुआ होगा
उठी होगी कोई कसक मन में किसी के
जब वो बेखौफ घूमा होगा ।
उछाल के कीचड़ किसी की आबरू पर
वो तो फिर भी खुल के जीया होगा
उठी होगी कोई कसक मन में किसी के
जब गुनाह करके भी कोई बच गया होगा ।
गुनाहगार तो गुनाह करके चला गया होगा
बेगुनाह होकर भी किसी ने सितम झेला होगा
उठी होगी कोई कसक मन में किसी के
जब गुनाहगार कानून से भी बच गया होगा ।
फैसला कुछ भी हो उसके गुनाह का
प्रश्न ये है कि क्या उस फैसले से
जमाने में कोई बदलाव हुआ होगा
या गुनाह करके फिर से कोई बच गया होगा ??
कविता गौतम ✍️
Gunjan Kamal
20-Sep-2021 08:55 PM
वाह मैम बहुत खूब 👏👏👏🙏🏻
Reply
Kavita Gautam
20-Sep-2021 10:24 PM
बहुत धन्यवाद मैम 🙏
Reply